स्वार्थ साधना की आंधी में वसुधा का कल्याण न भूलें...
माना अगम आगाज सिन्धु है संघर्षों का पार नहीं है...
किन्तु डूबना मझधारों में साहस को स्वीकार नहीं है...
जटिल समस्या सुलझाने को, नूतन अनुसंधान न भूलें.
शील, विनय, आदर्श, श्रेष्टता, तान बिना झंकार नहीं है...
शिक्षा क्या स्वर साध सकेगी, यदि नैतिक आधार नहीं है...
कीर्ति कौमोदी की गरिमा में, संस्कृति का सम्मान न भूलें.
अविष्कारों की कृतियों में, यदि मानव का प्यार नहीं है...
सृजनहीन विज्ञान व्यर्थ है, प्राणी का उपकार नहीं है...
भौतिकता के उत्थानों में, जीवन का उत्थान न भूलें.
निर्माणों के पावन युग में हम चरित्र निर्माण न भूलें.....
स्वार्थ साधना की आंधी में वसुधा का कल्याण न भूलें..