Thursday, July 23, 2009

स्वयम!

उद्धार अपना आप कर...
निज को न गिरने दे कभी...
नर आप ही है शत्रु अपना,
आप ही है मित्र भी...!
जो जीत लेता आपको,
वह बंधु अपना आप ही...
जाना न अपने को "स्वयम"...
रिपु सी करे रिपुता वही!

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