Monday, February 15, 2010

कश्मकश

कश्मकश तो होनी है ज़िन्दगी में....
बगैर उसके नीरस जिंदगानी है....
सुख ही सुख से ऊब जाता है मन...
थोड़े से गम में भी रवानी है

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