Monday, February 15, 2010

निर्माणों के पावन युग में हम चरित्र निर्माण न भूलें.....
स्वार्थ साधना की आंधी में वसुधा का कल्याण न भूलें...

माना अगम आगाज सिन्धु है संघर्षों का पार नहीं है...
किन्तु डूबना मझधारों में साहस को स्वीकार नहीं है...
जटिल समस्या सुलझाने को, नूतन अनुसंधान न भूलें.

शील, विनय, आदर्श, श्रेष्टता, तान बिना झंकार नहीं है...
शिक्षा क्या स्वर साध सकेगी, यदि नैतिक आधार नहीं है...
कीर्ति कौमोदी की गरिमा में, संस्कृति का सम्मान न भूलें.

अविष्कारों की कृतियों में, यदि मानव का प्यार नहीं है...
सृजनहीन विज्ञान व्यर्थ है, प्राणी का उपकार नहीं है...
भौतिकता के उत्थानों में, जीवन का उत्थान न भूलें.

निर्माणों के पावन युग में हम चरित्र निर्माण न भूलें.....
स्वार्थ साधना की आंधी में वसुधा का कल्याण न भूलें..

2 comments:

  1. Awesome...Superbe...Keep going....

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  2. If you don't find any problem in your life please understand your path is wrong.....esp for 3rd line....

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